Sunday 15 May 2016

एक छोटी सी प्रेम कविता

- मणि मोहन 

कुछ कहा मैंने
कुछ उसने सुना
फिर धीरे-धीरे
डूबती चली गई ...भाषा
साँसों के समंदर में-
हम देर तक
मनाते रहे जश्न
भाषा के डूबने का ।

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